*अभिषेक जोशी*
ग्राम पंचायत खेड़ी घाट में स्वच्छता अभियान एवं स्वास्थ्य जागरूकता तथा मतदाता जागरूकता की रैली
आज दिनांक 24 दिसंबर 2024 को जवाहरलाल नेहरू शासकीय स्नातक महाविद्यालय बड़वाह की ओर से मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार एवं संस्था प्रमुख प्राचार्य डॉ. मंगला ठाकुर के मार्गदर्शन में महाविद्यालय द्वारा गोद ग्राम खेड़ी घाट में महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा एक स्वच्छता अभियान तथा मतदाता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं महाविद्यालयीन स्टाफ प्रो. सुशील कुमार जायसवाल प्रो. गोविंद वास्केल एवं प्रो.छाया इंगले के नेतृत्व में एवं वरिष्ठ स्वयं सेवक श्री संतोष बिरला राहुल लहरे कु.खुशी ठाकुर वीरेंद्र सोलंकी विक्रम लखन कु. भारती बोरासी कु.अंजली अंजलीकर उपस्थित रहे हैं नाव घाट खेड़ी ग्राम पंचायत को गोद लेने के पीछे मुख्य कारण नर्मदा नदी का किनारा है तथा धार्मिक क्षेत्र होने के कारण यहां घाट पर सनातन धर्म एवं बड़वाह के निवासी स्नान करने एवं धार्मिक कार्यक्रम तथा कर्मकांड करने के लिए आते हैं बड़ी संख्या में जनता को आने और धार्मिक अनुष्ठान के कारण घाटों की साफ सफाई बहुत जरूरी है जिससे बड़वाह का अच्छा संदेश देश दुनिया में जा सके महाविद्यालय के स्वयंसेवक बड़ी संख्या में रैली के रूप में शहर से होते हुए खेड़ी घाट रैली के रूप में गऐ जहां पर सब एकत्रित हुए इसके पश्चात छोटे-छोटे समूह में बढ़कर नर्मदा किनारे के घाटों दुकानों के आसपास एवं सड़कों पर फैली गंदगी जैसे पाऊच पन्नी और पॉलिथीन पानी की खाली बोतलें एवं धार्मिक अनुष्ठान के पश्चात बची हुई सामग्री को एकत्रित किया इसके साथ ही सभी दुकानदारों को डस्टबिन रखने तथा पॉलिथीन या प्लास्टिक का सामान इस्तेमाल करने तथा बेचने के लिए मना किया और सभी कचरो को हाथ से उठाकर डस्टबिन में रखा इसके साथ ही स्वयं सेवकों ने प्रत्येक घर जाकर गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ रहने की जीवन शैली कम संसाधनों में कैसे कर सकते है की जानकारी दी इसके साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए क्या क्या खानपान होना चाहिए इसकी भी जानकारी दी और इसके साथ गांव के छोटे-छोटे बच्चे जो कि कुपोषित लग रहें थे उनको कैसे कुपोषण से मुक्त कर सकते हैं इसकी भी जानकारी दी जब स्वयंसेवक हाथों में तक्तियां लिए हुए बना और नारे लगाते हुए स्वच्छता एवं स्वास्थ्य से संबंधित संदेश देते हुए गांवों की गलियों में भ्रमण कर रहे थे तो गांव की महिलाएं बच्चे और बूढ़े बुजुर्ग घर से बाहर निकलकर उस संदेश को ध्यान से पड़ रहें थे और नारों को सुन रहे थें।